
Journal of Advances in Developmental Research
E-ISSN: 0976-4844
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Impact Factor: 9.71
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Volume 16 Issue 1
2025
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राजस्थान में कौशल प्रशिक्षण योजनाओं का मानव संसाधन पर सामाजिक एवं आर्थिक प्रभावः एक विश्लेषणात्मक अध्ययन
Author(s) | Yogesh Kumar, Bhupendra Kumar Bist |
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Country | India |
Abstract | यह शोध पत्र राजस्थान राज्य में मानव संसाधन के लिए संचालित कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रमों के सामाजिक और आर्थिक प्रभावों का विश्लेषण करता है। अध्ययन का उद्देश्य यह समझना है कि ये योजनाएँ युवाओं को रोजगार, आत्मनिर्भरता और सामाजिक सशक्तिकरण के संदर्भ में किस हद तक प्रभावी रही हैं। साथ ही, विभिन्न योजनाओं के तुलनात्मक अध्ययन के माध्यम से यह भी स्पष्ट किया गया है कि कौन सी योजनाएं अपेक्षाकृत अधिक परिणामदायक रही हैं। राजस्थान, जिसकी अधिकांश आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है, वहां पारंपरिक रोजगार विकल्पों की सीमितता युवाओं के लिए एक गंभीर चुनौती रही है। ऐसे परिदृश्य में कौशल विकास कार्यक्रम युवाओं को नई तकनीकों, आधुनिक कार्यप्रणालियों और बाजार की मांग के अनुरूप प्रशिक्षण प्रदान कर उन्हें रोजगार योग्य बनाते हैं। इस शोध में विभिन्न प्रमुख योजनाओं जैसे राजस्थान कौशल एवं आजीविका विकास निगम (RSLDC), प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY), मुख्यमंत्री कौशल संवर्धन योजना इत्यादि का तुलनात्मक विश्लेषण किया गया है। शोध के निष्कर्षों से यह स्पष्ट होता है कि जहां कुछ योजनाओं ने युवाओं को स्थायी रोजगार प्रदान करने में सफलता प्राप्त की है, वहीं कुछ योजनाएं केवल अल्पकालिक प्रशिक्षण तक ही सीमित रही हैं। इसके अलावा, ग्रामीण और शहरी युवाओं के अनुभवों, महिला और पुरुष लाभार्थियों के दृष्टिकोण, तथा योजनाओं के दीर्घकालिक प्रभावों की तुलना भी इस अध्ययन का प्रमुख भाग है। अंततः, यह शोध यह प्रतिपादित करता है कि कौशल विकास योजनाएं तभी प्रभावी हो सकती हैं जब वे स्थानीय आवश्यकताओं, उद्योगों की मांग, और युवाओं की सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि के अनुरूप हो। अध्ययन की सिफारिशें नीति-निर्माताओं, योजनाकारों और क्रियान्वयन एजेंसियों के लिए भविष्य की रणनीतियों को अधिक परिणामदायक बनाने की दिशा में उपयोगी सिद्ध हो सकती हैं। परिचय: भारत के संदर्भ में राजस्थान एक ऐसा राज्य है जहाँ युवा जनसंख्या का बड़ा हिस्सा ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करता है। राज्य की अधिकांश जनसंख्या कृषि, हस्तशिल्प, और अन्य पारंपरिक उद्योगों से जुड़ी हुई है, जहाँ रोजगार के अवसर सीमित हैं। इसके अलावा, आधुनिक औद्योगिक विकास की गति भी अपेक्षाकृत धीमी रही है, जिसके परिणामस्वरूप राज्य के युवाओं को रोजगार प्राप्त करने में कठिनाई होती है। राजस्थान के ग्रामीण क्षेत्रों में कौशल विकास के अवसरों की कमी के कारण, युवा वर्ग आत्मनिर्भर बनने में संघर्ष करता है, और रोजगार के लिए शहरों की ओर पलायन करता है। इसी स्थिति को देखते हुए राजस्थान सरकार ने विभिन्न कौशल विकास योजनाओं की शुरुआत की है, ताकि युवाओं को व्यावसायिक और तकनीकी प्रशिक्षण प्रदान किया जा सके। इन योजनाओं का उद्देश्य युवाओं को नई तकनीकों, उद्योगों की मांग, और समाज की आवश्यकता के अनुरूप कौशल प्रदान करना है, जिससे वे न केवल रोजगार के अवसर पा सकें, बल्कि आत्मनिर्भर और सामाजिक रूप से सशक्त भी बन सकें। राजस्थान में विभिन्न सरकारी और निजी संस्थाएँ कौशल विकास कार्यक्रमों के संचालन में सक्रिय हैं। राज्य में स्थापित प्रशिक्षण केंद्रों द्वारा युवाओं को व्यावसायिक शिक्षा और कौशल प्रशिक्षण दिया जाता है, ताकि वे विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार पाने में सक्षम हो सकें। इस शोध का उद्देश्य इन कौशल विकास कार्यक्रमों के सामाजिक और आर्थिक प्रभावों का तुलनात्मक अध्ययन करना है, ताकि यह समझा जा सके कि इन योजनाओं से राज्य के युवाओं को कितना लाभ हुआ है और यह किस हद तक सामाजिक-आर्थिक बदलाव की दिशा में योगदान कर रही हैं। शोध की आवश्यकता: राजस्थान में युवाओं के लिए रोजगार के अवसरों की कमी एक बड़ी समस्या है, जो उनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है। राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ती बेरोजगारी, असमान आर्थिक विकास, और शहरी-ग्रामीण विकास के बीच का अंतर इन समस्याओं को और भी जटिल बना देता है। इन समस्याओं के समाधान के लिए कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रमों को एक महत्वपूर्ण उपाय माना जाता है, क्योंकि ये युवाओं को रोजगार योग्य बनाने के साथ-साथ उन्हें आत्मनिर्भर बनाने में भी मदद करते हैं। इसके अतिरिक्त, ऐसे कार्यक्रमों के माध्यम से राज्य में सामाजिक और आर्थिक बदलाव लाने की संभावना है। इस शोध का उद्देश्य यह विश्लेषण करना है कि राजस्थान में युवाओं के लिए चलाए जा रहे कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रमों का कितना प्रभावी योगदान है। क्या ये योजनाएं युवाओं के जीवन में वास्तविक परिवर्तन ला रही हैं, और क्या वे राज्य में सामाजिक-आर्थिक विकास को गति दे रही हैं? इसके साथ ही यह जानना भी आवश्यक है कि इन योजनाओं के क्रियान्वयन में क्या चुनौतियाँ हैं और किस प्रकार के सुधार की आवश्यकता है, ताकि इनका प्रभाव और अधिक गहरा हो सके। उद्देश्य: • राजस्थान में संचालित प्रमुख कौशल प्रशिक्षण योजनाओं की समीक्षा करना। • इन योजनाओं के माध्यम से युवाओं के सामाजिक और आर्थिक स्तर में हुए परिवर्तनों का विश्लेषण करना। • योजनाओं की तुलनात्मक प्रभावशीलता का अध्ययन करना। • नीति निर्धारकों के लिए सुधारात्मक सुझाव देना। शोध पद्धति: यह अध्ययन द्वितीयक डेटा (सरकारी रिपोर्ट, योजना दस्तावेज, शोध लेख) के विश्लेषण पर आधारित है। साथ ही, कुछ सीमित क्षेत्रों में चयनित युवाओं से प्राथमिक जानकारी प्राप्त की गई है, जिससे योजनाओं के वास्तविक प्रभाव का मूल्यांकन किया जा सके। तुलनात्मक विश्लेषण के लिए विभिन्न योजनाओं के आँकड़ों और लाभार्थियों की प्रतिक्रियाओं की तुलना की गई है। राजस्थान की प्रमुख कौशल विकास योजनाएं: • राजस्थान कौशल एवं आजीविका विकास निगम (RSLDC) • प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY) • मुख्यमंत्री कौशल संवर्धन योजना • राजस्थान युवा कौशल योजना सामाजिक प्रभाव का विश्लेषण: कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से निम्नलिखित सामाजिक परिवर्तन देखे गए हैं: • आत्मविश्वास और सामाजिक स्थिति में वृद्धि • महिला लाभार्थियों में आत्मनिर्भरता की भावना • सामाजिक समावेश और समुदाय में सक्रिय भागीदारी • परंपरागत कार्यों के प्रति नया दृष्टिकोण आर्थिक प्रभाव का विश्लेषण: • प्रशिक्षित युवाओं में रोजगार प्राप्ति की दर में वृद्धि • स्वरोजगार की ओर झुकाव और छोटे उद्यमों की स्थापना • पारिवारिक आय में वृद्धि • प्रशिक्षण के उपरांत आजीविका के विविध स्रोतों का विकास डेटा विश्लेषण तालिका: राजस्थान में कौशल विकास योजनाओं का प्रभाव (2018-2023) राजस्थान में कौशल विकास योजनाओं का प्रभाव वर्ष 2018 से 2023 के बीच स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। नीचे दी गई तालिका में विभिन्न वर्षों के दौरान प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY) और दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना (DDU-GKY) के अंतर्गत प्रशिक्षित लाभार्थियों की संख्या, उनमें से कितने को रोजगार मिला, उनकी औसत मासिक आय तथा महिला लाभार्थियों की भागीदारी को दर्शाया गया है। इस आंकड़े के माध्यम से योजना की कार्यक्षमता और सामाजिक-आर्थिक प्रभाव का सम्यक मूल्यांकन संभव होता है। वर्ष योजना प्रशिक्षित लाभार्थी (संख्या) रोजगार प्राप्त करने वाले लाभार्थी (%) औसत मासिक आय (INR) महिला लाभार्थियों की भागीदारी (%) 2018-19 PMKVY 1,42,300 46.7% ₹9,200 35.6% 2019-20 PMKVY 1,55,800 49.2% ₹9,800 38.1% 2020-21 PMKVY/DDU-GKY 98,400 (COVID प्रभाव) 35.5% ₹8,600 32.4% 2021-22 PMKVY 1,61,700 51.6% ₹10,500 41.2% 2022-23 PMKVY/DDU-GKY 1,84,600 54.1% ₹11,200 44.7% स्रोत: • NSDC Rajasthan Data Portal (2023) • Rajasthan Skill and Livelihoods Development Corporation (RSLDC) Annual Report • नीति आयोग कौशल विकास रिपोर्ट (2023) विश्लेषणात्मक विवेचना: उपरोक्त तालिका से यह स्पष्ट होता है कि राजस्थान में कौशल प्रशिक्षण योजनाओं के कारण न केवल प्रशिक्षित युवाओं की संख्या में वृद्धि हुई है, बल्कि उनके रोजगार प्राप्त करने की संभावना और आर्थिक स्थिति में भी सुधार हुआ है। • 2018 से 2023 के दौरान, औसत मासिक आय में लगभग 22% की वृद्धि दर्ज की गई। • महिलाओं की भागीदारी में भी सतत वृद्धि हुई है — 2018 में 35.6% से बढ़कर 2023 में 44.7% तक पहुँच गई, जो महिलाओं के सामाजिक सशक्तिकरण की दिशा में सकारात्मक संकेत है। तुलनात्मक विश्लेषण: राजस्थान में युवाओं के कौशल विकास के लिए विभिन्न योजनाएं लागू की गई हैं, जिनमें राज्य सरकार द्वारा संचालित योजनाएँ जैसे राजस्थान कौशल एवं आजीविका विकास निगम (RSLDC) और राजस्थान युवा कौशल योजना (RYSY) प्रमुख हैं। इन योजनाओं की प्रभावशीलता का तुलनात्मक विश्लेषण किया गया है, जो यह दर्शाता है कि राज्य-स्तरीय योजनाएँ स्थानीय आवश्यकताओं और परिवेश के अनुरूप अधिक प्रभावी सिद्ध हो रही हैं। 1. RSLDC (राजस्थान कौशल एवं आजीविका विकास निगम): इस योजना का उद्देश्य राज्य के युवाओं को रोजगारोन्मुखी और आत्मनिर्भर बनाने के लिए व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान करना है। RSLDC योजनाएँ स्थानीय उद्योगों की जरूरतों के अनुरूप तैयार की जाती हैं, जिससे प्रशिक्षित युवाओं को रोजगार प्राप्त करने में ज्यादा सफलता मिलती है। इस योजना की विशेषता यह है कि यह स्थानीय रोजगार क्षेत्रों जैसे कृषि, पर्यटन, निर्माण, और हस्तशिल्प के लिए लक्षित होती है, जो राजस्थान के सामाजिक और आर्थिक संदर्भ से मेल खाती है। 2. RYSY (राजस्थान युवा कौशल योजना): यह योजना खासतौर पर बेरोजगार युवाओं को स्वरोजगार और उद्यमिता के लिए आवश्यक कौशल प्रदान करने पर केंद्रित है। राज्य के युवा इस योजना के माध्यम से न केवल रोजगार प्राप्त करते हैं, बल्कि अपने स्वयं के व्यवसाय शुरू करने के लिए भी प्रशिक्षित होते हैं। योजना के तहत युवाओं को राज्य के विभिन्न हिस्सों में स्थित स्थानीय प्रशिक्षण केंद्रों के माध्यम से सशक्त किया जाता है। केंद्र सरकार की योजनाएँ: केंद्र सरकार द्वारा संचालित योजनाएं जैसे प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY) और राष्ट्रीय शिक्षुता संवर्धन योजना (NAPS) बड़े पैमाने पर कार्यान्वित की जाती हैं, लेकिन इन योजनाओं का कार्यान्वयन स्थानीय स्तर पर कुछ चुनौतियाँ उत्पन्न करता है। इन योजनाओं का फोकस अक्सर व्यापक और सामान्य होता है, जिसके कारण स्थानीय जरूरतों और युवाओं के विशेष कौशल स्तर को समझने में कमी हो सकती है। इसके अतिरिक्त, केंद्र सरकार द्वारा संचालित योजनाओं का कार्यान्वयन कभी-कभी प्रशासनिक जटिलताओं और बुनियादी ढांचे की कमी से प्रभावित होता है, जिससे इन योजनाओं की प्रभावशीलता में कमी आती है। तुलना में निष्कर्ष: राज्य सरकार की योजनाओं में स्थानीय संदर्भ को ध्यान में रखते हुए अधिक अनुकूलित प्रशिक्षण कार्यक्रम उपलब्ध कराए जाते हैं, जिससे इनकी सफलता दर अधिक है। वहीं, केंद्र सरकार की योजनाओं में सुधार की आवश्यकता है ताकि ये स्थानीय आवश्यकताओं और परिवेश के अनुरूप अधिक प्रभावी हो सकें। राज्य-स्तरीय योजनाओं की सफलता, उनके अनुकूलित और लक्षित दृष्टिकोण के कारण अधिक परिणामदायक सिद्ध हुई है, जबकि केंद्र सरकार की योजनाओं को स्थानीय स्तर पर क्रियान्वयन में और अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। चुनौतियाँ: 1. प्रशिक्षकों की कमी: कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रमों की सफलता में प्रशिक्षकों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। राजस्थान में प्रशिक्षकों की संख्या और गुणवत्ता में कमी एक प्रमुख चुनौती है। कई क्षेत्रों में प्रशिक्षित और योग्य प्रशिक्षकों का अभाव है, जिससे प्रशिक्षण की गुणवत्ता प्रभावित होती है। यह विशेष रूप से ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में अधिक स्पष्ट है, जहां प्रशिक्षकों का आकर्षण कम होता है। 2. ग्रामीण क्षेत्रों में प्रशिक्षण केंद्रों की अनुपलब्धता: राज्य के अधिकांश युवा ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करते हैं, लेकिन यहाँ कौशल विकास के लिए उचित प्रशिक्षण केंद्रों की कमी है। शहरी क्षेत्रों में जहां प्रशिक्षण संस्थान अधिक हैं, वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में यह सुविधाएँ सीमित हैं, जिससे वहाँ के युवाओं को कौशल प्रशिक्षण के अवसरों से वंचित रहना पड़ता है। 3. उद्योगों के साथ समन्वय की कमी: कौशल प्रशिक्षण का उद्देश्य रोजगार सृजन है, लेकिन कई बार प्रशिक्षण कार्यक्रमों का पाठ्यक्रम उद्योगों की वास्तविक मांगों से मेल नहीं खाता। प्रशिक्षण के दौरान प्राप्त कौशल को उद्योगों द्वारा स्वीकार नहीं किया जाता, क्योंकि उन्हें यह महसूस होता है कि प्रशिक्षित युवाओं में उनकी आवश्यकताओं के अनुसार दक्षता की कमी है। इस प्रकार, उद्योगों और प्रशिक्षण संस्थानों के बीच समन्वय की कमी है, जो रोजगार की प्राप्ति में रुकावट डालती है। 4. डेटा एकत्रण और मूल्यांकन की व्यवस्था का अभाव: योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन और सुधार के लिए डेटा एकत्रण और मूल्यांकन की व्यवस्था महत्वपूर्ण होती है, लेकिन राजस्थान में इस प्रकार की व्यवस्था का अभाव है। यह डेटा और रिपोर्टों के आधार पर योजनाओं की सफलता और प्रभावशीलता का मूल्यांकन करना कठिन बना देता है। बिना ठोस आंकड़ों के, योजनाओं के सुधार के लिए किसी भी प्रकार की ठोस नीति बनाना मुश्किल हो जाता है। सुझाव: 1. प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों को उद्योगों की मांग के अनुरूप बनाना: प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों को उद्योगों की वास्तविक आवश्यकताओं और मांगों के अनुसार अद्यतन करना आवश्यक है। उद्योगों और प्रशिक्षण संस्थानों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित कर प्रशिक्षकों को व्यावसायिक और तकनीकी दृष्टिकोण से दक्ष बनाया जा सकता है, जिससे प्रशिक्षित युवाओं को रोजगार मिलने में आसानी हो। 2. प्रशिक्षण केंद्रों की संख्या और पहुँच बढ़ाना: ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में प्रशिक्षण केंद्रों की संख्या को बढ़ाना चाहिए, ताकि अधिक से अधिक युवाओं तक कौशल विकास के अवसर पहुँच सकें। इसके अलावा, इन केंद्रों को सस्ती और आसान पहुँच योग्य बनाना होगा, जिससे युवाओं को अपनी जगह से दूर जाने की आवश्यकता न पड़े। 3. प्रशिक्षकों के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाना: प्रशिक्षकों की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाएं। इन कार्यक्रमों में उन्हें नवीनतम उद्योग के मानकों और तकनीकों से अवगत कराया जाए, जिससे वे युवाओं को बेहतर तरीके से प्रशिक्षित कर सकें। 4. योजनाओं के दीर्घकालिक प्रभाव का अध्ययन कर सुधारात्मक नीति निर्माण करना: कौशल विकास योजनाओं के दीर्घकालिक प्रभाव का अध्ययन किया जाए, ताकि यह समझा जा सके कि इन योजनाओं से युवाओं के जीवन में कौन से स्थायी बदलाव आए हैं। इसके आधार पर, सुधारात्मक नीतियाँ बनाई जा सकती हैं, जो योजनाओं को और अधिक प्रभावी बनाएं और उनके समग्र प्रभाव को बढ़ाएं। निष्कर्ष: राजस्थान में युवाओं के लिए कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रमों का सामाजिक और आर्थिक प्रभाव आशाजनक रहा है, लेकिन इन योजनाओं के प्रभाव को अधिक सशक्त और व्यापक बनाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करना आवश्यक है। आज, इन योजनाओं के माध्यम से लाखों युवाओं को व्यावसायिक कौशल प्राप्त हुआ है, जो उन्हें आत्मनिर्भर बनाने में मदद कर रहा है। विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों के युवाओं को इन कार्यक्रमों से लाभ हुआ है, जहां पारंपरिक रोजगार के अवसर सीमित हैं। इसके अलावा, महिलाओं के लिए कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रमों ने उन्हें न केवल आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनाने में मदद की है, बल्कि सामाजिक सशक्तिकरण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हालांकि, इन योजनाओं की सफलता की संभावना को और अधिक बढ़ाने के लिए कुछ प्रमुख सुधार किए जा सकते हैं। जैसे कि प्रशिक्षकों की संख्या और गुणवत्ता में सुधार, प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों का उद्योगों की वास्तविक आवश्यकताओं के अनुरूप अद्यतन करना, और ग्रामीण क्षेत्रों में प्रशिक्षण केंद्रों की संख्या बढ़ाना। इसके अलावा, योजनाओं को अधिक समन्वित और क्षेत्रीय जरूरतों के अनुसार अनुकूलित किया जा सकता है, ताकि उन्हें अधिक प्रभावी रूप से लागू किया जा सके। इन सुधारों के साथ-साथ, कौशल प्रशिक्षण की तकनीकी और डिजिटल रूप में वृद्धि की आवश्यकता भी है, ताकि युवाओं को सबसे नए और विश्वसनीय कौशल सिखाए जा सकें। विशेष रूप से ऑनलाइन और दूरस्थ प्रशिक्षण विकल्पों को बढ़ावा देने से युवाओं के लिए कौशल सीखने के अवसरों की संख्या में वृद्धि हो सकती है। अंततः, यदि इन योजनाओं को समग्र रूप से और दीर्घकालिक दृष्टिकोण से लागू किया जाए, तो यह राजस्थान के मानव संसाधन विकास के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी परिवर्तन ला सकती हैं। युवाओं को रोजगार के बेहतर अवसर, आत्मनिर्भरता और सामाजिक सम्मान मिलेगा, जिससे राज्य की समग्र आर्थिक प्रगति में योगदान होगा। इस प्रकार, राजस्थान के कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रमों का भविष्य उज्जवल प्रतीत होता है, यदि इनकी क्रियान्वयन प्रक्रिया में निरंतर सुधार और विकास की दिशा में कार्य किया जाए। संदर्भ: 1. भारत सरकार, कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (2015)। प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY) की स्थापना और प्रगति पर रिपोर्ट। 2. राजस्थान कौशल और जीवन कौशल विकास निगम (RSLDC), (2020)। राजस्थान में कौशल विकास के प्रयासों का विस्तृत आकलन। 3. शर्मा, के. और सिंह, आर. (2019)। राजस्थान राज्य में ग्रामीण विकास और कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रमों का सामाजिक-आर्थिक प्रभाव। राजस्थान विकास पत्रिका, 45(3), 112-125। 4. भारत सरकार, राष्ट्रीय नीति दस्तावेज (2013)। राष्ट्रीय कौशल विकास नीति, 2013। 5. सिंह, ए. और यादव, जी. (2020)। राजस्थान में कौशल प्रशिक्षण योजनाओं के प्रभाव का तुलनात्मक अध्ययन। भारत में कौशल और रोजगार: वर्तमान परिदृश्य, 32(1), 45-57। 6. रॉय, ए. (2017)। युवा सशक्तिकरण और कौशल प्रशिक्षण: राजस्थान के संदर्भ में। सामाजिक विकास और शिक्षा नीति, 28(4), 58-68। 7. राजस्थान सरकार, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (2021)। राजस्थान में कौशल विकास योजनाओं की समीक्षा। जयपुर: राजस्थान राज्य सरकार। 8. कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (2019)। राष्ट्रीय शिक्षुता संवर्धन योजना (NAPS) रिपोर्ट। 9. भारत सरकार, नीति आयोग (2020)। कौशल प्रशिक्षण और ग्रामीण विकास में प्रवृत्तियाँ। 10. गुप्ता, एस. और मिश्रा, एम. (2018)। ग्रामीण क्षेत्रों में कौशल प्रशिक्षण योजनाओं के लागू करने में आने वाली चुनौतियाँ। भारत में ग्रामीण विकास, 34(2), 102-110। |
Keywords | . |
Field | Business Administration |
Published In | Volume 16, Issue 1, January-June 2025 |
Published On | 2025-04-22 |
Cite This | राजस्थान में कौशल प्रशिक्षण योजनाओं का मानव संसाधन पर सामाजिक एवं आर्थिक प्रभावः एक विश्लेषणात्मक अध्ययन - Yogesh Kumar, Bhupendra Kumar Bist - IJAIDR Volume 16, Issue 1, January-June 2025. |
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