Journal of Advances in Developmental Research

E-ISSN: 0976-4844     Impact Factor: 9.71

A Widely Indexed Open Access Peer Reviewed Multidisciplinary Bi-monthly Scholarly International Journal

Call for Paper Volume 16 Issue 2 July-December 2025 Submit your research before last 3 days of December to publish your research paper in the issue of July-December.

आर्थिक सुधार कार्यक्रमों के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था की दशा

Author(s) डाॅ. खेमचन्द गुर्जर
Country India
Abstract भारत में सुव्यवस्थित विकास हेतु नियोजित विकास पद्धति को अपनाया गया जिसके अन्तर्गत सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र का महत्व स्वीकार करते हुए मिश्रित अर्थव्यवस्था प्रणाली को अपनाया गया। परन्तु योजनाबद्व विकास में उत्पन्न दोषों के कारण भारत में अपेक्षाओं के अनुरूप विकास को गति प्रदान नहीं की जा सकी तथा 1990-91 में भारतीय अर्थव्यवस्था भारी आर्थिक एवं वित्तीय संकट में फंस गई। मुद्रा स्फीति की दर जुलाई-अगस्त, 1991 में 17 प्रतिशत तक पहुँच गई थी। भारत के विदेशी विनिमय कोष मात्र एक अरब डालर तुल्य रह गये थे जिनसे केवल दो सप्ताह के आयातों की व्यवस्था हो सकती थी। अन्तर्राष्ट्रीय संस्थानों का भारतीय अर्थव्यवस्था पर से विश्वास डगमगाने लगा तथा भारतीय अर्थव्यवस्था को शंका की दृष्टि से देखा जाने लगा जिससे विदेशी पूँजी तथा प्रवासी भारतीयों के जमा निक्षेपों का विदेशों की ओर पलायन होने लगा। अतः तत्कालीन परिस्थितियों में भारतीय अर्थव्यवस्था को संकटकालीन परिस्थितियों से उबारने तथा अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर बदलते हुए आर्थिक परिदृश्य को मध्यनजर रखते हुए भारत में भी विभिन्न आर्थिक सुधार कार्यक्रम लागू किये गये जो इस प्रकार हैं।
Published In Volume 3, Issue 2, July-December 2012
Published On 2012-07-19
Cite This आर्थिक सुधार कार्यक्रमों के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था की दशा - डाॅ. खेमचन्द गुर्जर - IJAIDR Volume 3, Issue 2, July-December 2012.

Share this