Journal of Advances in Developmental Research

E-ISSN: 0976-4844     Impact Factor: 9.71

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भारत में स्त्री शिक्षा का विकास

Author(s) डॉ. सुन्दर लाल, डॉ. बी पी यादव
Country India
Abstract स्वतन्त्रता से पूर्व भारत में स्त्री शिक्षा का विकास ना के बराबर था । क्योंकि अंग्रेज भारतीयों को शिक्षा देने के पक्ष में नहीं थे और स्त्री शिक्षा को बिल्कुल ही नहीं चाहते थे । परन्तु मशीनरी संस्थाओं ने महिलाओं को शिक्षा दिलवाने का अच्छा प्रयास किया । परिणामस्वरूप 1820 से 1850 तक महिलाओं की शिक्षा के लिए अनेक संस्थायें खोली गई । 1879 में कलकत्ता विश्वविद्यालय द्वारा लड़कियों के लिए मैट्रिक की परीक्षा लिए जाने के निर्णय से भी स्त्री शिक्षा को बल मिला है । 1946-47 में 100 लड़कों के पीछे केवल 36 लड़कियां प्राथमिक विद्यालयों, 22 मिडिल स्कूल, 24 हाई स्कूल, 7 व्यवसायिक शिक्षण संस्थान का 12 सामान्य काॅलेजों में शिक्षा प्राप्त करती थी । भारत में स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् नवनिर्मित संविधान के अनुसार, ‘‘राज्य किसी नागरिक के विरूद केवल धर्म, प्रजाति, लिंग, जन्म के आधार पर कोई विभेद नहीं करेगा ।’’ भारतीय संविधान लिंग पर आधारित मतभेद को अवैधानिक ठहराता है । शिक्षा के क्षेत्र में संविधान में स्त्रियों को पुरुषों के समान सुविधाएं प्रदान की गई है ताकि स्त्रियां भी पुरुषों के साथ कन्धे से कन्धा मिलाकर चल सकें और जिससे देश भी विकास के पथ पर अग्रसर हो सके । भारत सरकार ने स्त्री शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति और उसकी कार्य योजना के अन्तर्गत समूची शिक्षा प्रणाली स्त्री की समता और अधिकतर सम्पन्नता के प्रति समर्पित है । 1986 की संशोधित शिक्षा नीति और उसकी कार्य योजना में स्त्री की शिक्षा को उच्च प्राथमिकता दी गई है ।
Published In Volume 16, Issue 2, July-December 2025
Published On 2025-07-18
Cite This भारत में स्त्री शिक्षा का विकास - डॉ. सुन्दर लाल, डॉ. बी पी यादव - IJAIDR Volume 16, Issue 2, July-December 2025. DOI 10.71097/IJAIDR.v16.i2.1507
DOI https://doi.org/10.71097/IJAIDR.v16.i2.1507
Short DOI https://doi.org/g9vdfk

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